मत्स्य पालन हेतु गाइडलाइन्स

मत्स्य पालन हेतु कोई भी इच्छुक व्यक्ति जिसके पास अपना निजी तालाब हो अथवा निजी भूमि या पट्टे का तालाब, उत्तर प्रदेश में किसी भी जिले में मत्स्य पालन की सुविधा प्राप्त कर सकता है

  1. इच्छुक व्यक्ति जिनके पास अपनी निजी भूमि या तालाब हो वह उस भूमि सम्बन्धी खसरा खतौनी लेकर जनपदीय कार्यालय सम्पर्क करे। पट्टे के तालाब पर मत्स्य पालन हेतु पट्टा निर्गमन प्रमाण-पत्र के साथ जनपदीय कार्यालय सम्पर्क किया जा सकता है
  2. विभाग द्वारा क्षेत्रीय मत्स्य विकास अधिकारी/अभियन्ता द्वारा भूमि/तालाब का सर्वेक्षण कर प्रोजेक्ट तैयार किया जाता है
  3. तालाबों/प्रस्तावित तालाबों की भूमि का मृदा-जल के नमूनों का परीक्षण विभागीय प्रयोगशाला में नि:शुल्क किया जाता है तथा इसकी विधिवत जानकारी इच्छुक व्यक्ति को दी जाती है
  4. मृदा-जल के परीक्षणोंपरान्त कोई कमी पायी जाती है तो उसका उपचार/निदान मत्स्य पालन हेतु इच्छुक व्यक्ति को बताया जाता है
  5. यदि भूमि/तालाब मत्स्य पालन योग्य है तो जनपदीय कार्यालय द्वारा प्रोजेक्ट तैयार कर संस्तुति सहित प्रोजेक्ट बैंक को ऋण स्वीकृति हेतु भेजा जाता है
  6. बैंक स्वीकृति प्राप्त होने पर अनुदान की राशि बैंक को भेज दी जाती है
  7. मत्स्य पालन की तकनीकी जानकारी एवं मत्स्य पालन हेतु आवश्यक प्रशिक्षण ब्लाक/तहसील स्तर पर क्षेत्रीय मत्स्य विकास अधिकारी/जनपदीय अथवा मण्डलीय कार्यालय से सम्पर्क कर प्राप्त की जा सकती है
  8. मत्स्य बीज की आपूर्ति मत्स्य विभाग/मत्स्य विकास निगम द्वारा की जाती है। इच्छुक मत्स्य पालक इनके द्वारा मत्स्य बीज प्राप्त कर सकते हैं
  9. समय-समय पर कृषि मेलों/प्रदर्शनियों में विभागीय योजनाओं एवं मत्स्य पालकों को दी जा रही सुविधाओं की जानकारी दी जाती है
  10. मत्स्य विपणन के विषय में जानकारी सम्बन्धित जनपदीय कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है
  11. मत्स्य पालन हेतु निम्न कैलेण्डर के अनुसार मार्गदर्शन लिया जा सकता है :-

प्रथम त्रैमास (अप्रैल, मई व जून)

  1. उपयुक्त तालाब का चुनाव
  2. नये तालाब के निर्माण हेतु उपयुक्त स्थल का चयन
  3. मिट्टी पानी की जांच
  4. तालाब सुधार/निर्माण हेतु मत्स्य पालक विकास अभिकरणों के माध्यम से तकनीकी व आर्थिक सहयोग लेते हुए तालाब सुधार/निर्माण कार्य की पूर्णता
  5. अवांछनीय जलीय वनस्पतियों की सफाई
  6. एक मीटर पानी की गहराई वाले एक हेक्टेयर के तालब में 25 कुन्तल महुआ की खली के प्रयोग के द्वारा अथवा बार-बार जाल चलवाकर अवांछनीय मछलियों की निकासी
  7. उर्वरा शक्ति की वृद्धि हेतु 250 कि०ग्रा०/हे० चूना तथा सामान्यत: 10 से 20 कुन्तल/हेक्टे०/मास गोबर की खाद का प्रयोग

द्वितीय त्रैमास (जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर,)

  1. मत्स्य बीज संचय के पूर्व पानी की जांच (पी-एच 7.5 से 8.0 व घुलित आक्सीजन 5 मि०ग्रा०/लीटर होनी चाहिए)
  2. तालाब में 25 से 50 मि०मी० आकार के 10,000 से 15,000 मत्स्य बीज का संचय
  3. पानी में उपलब्ध प्राकृतिक भोजन की जांच
  4. गोबर की खाद के प्रयोग के 15 दिन बाद सामान्यत: 49 कि०ग्रा०/हे०/मास की दर से एन०पी०के० खादों (यूरिया 20 कि०ग्रा०, सिंगिल सुपर फास्फेट 25 कि०ग्रा०, म्यूरेट आफ पोटाश 4 कि०ग्रा०) का प्रयोग

तृतीय त्रैमास (अक्टूबर, नवम्बर एवं दिसम्बर)

  1. मछलियों की वृद्धि दर की जांच
  2. मत्स्य रोग की रोकथाम हेतु सीफेक्स का प्रयोग अथवा रोग ग्रस्त मछलियों को पोटेशियम परमैगनेट या नमक के घोल में डालकर पुन: तालाब में छोड़ना
  3. पानी में प्राकृतिक भोजन की जांच
  4. पूरक आहार दिया जाना
  5. ग्रास कार्प मछली के लिए जलीय वनस्पतियों (लेमरा, हाइड्रिला, नाजाज, सिरेटोजाइलम आदि) का प्रयोग
  6. उर्वरकों का प्रयोग

चतुर्थ त्रैमास (जनवरी, फरवरी एवं मार्च)

  1. बड़ी मछलियों की निकासी एवं विक्रय
  2. बैंक के ऋण किस्त की अदायगी
  3. एक हेक्टेयर के तालाब में कामन कार्प मछली के लगभग 1500 बीज का संचय
  4. पूरक आहार दिया जाना
  5. उर्वरकों का प्रयोग