मत्स्य पालक कल्याण कोष के अन्तर्गत मछुआ आवास हेतु आवेदन का प्रारूप


वर्तमान में प्रचलित "प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना" में ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित तालाबों पर कोई परियोजना अनुमन्य नहीं है। इसकी रिक्तता को भरने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 से एक नवीन योजना मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना(MMMSY) प्रारम्भ की गयी है। इस योजनान्तर्गत दो परियोजनाएं संचालित की जा रही है
राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 से एक नवीन योजना मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना(MMMSY) प्रारम्भ की गयी है। इस योजनान्तर्गत दो परियोजनाएं संचालित की जा रही है
विवरण देखेंप्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) 10 सितंबर 2020 को शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य पांच साल (2020-2025) की अवधि में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाना है। इस योजना के माध्यम से मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों की आय में वृद्धि करनें के साथ ही उनके जीवन स्तर में सुधार करना है
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) का उद्देश्य पांच साल (2020-2025) की अवधि में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाना है
विवरण देखेंप्रदेश में मत्स्य पालको एवं मछुआरा समुदाय के व्यक्तियों को मत्स्याखेट एवं नदियाँ/जलाशयों में मत्स्य प्रबंधन व सरंक्षण के माध्यम से रोजगार एवं आजीविका के लिए जलाशयों, तालाबों, नदियों एवं अन्य जल संसाधनों में बिना इंजन की नाव (नॉन मोटोराइज्ड), जाल, लाइफ जैकेट एवं आइस्बाक्स आदि पर 40 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराये जाने हेतु “निषादराज बोट सब्सिडी योजना” के रूप में एक नवीन राज्य योजना प्रारम्भ की गयी है
प्रदेश में मत्स्य पालको एवं मछुआरा समुदाय के व्यक्तियों को मत्स्याखेट एवं नदियाँ/जलाशयों में मत्स्य प्रबंधन व सरंक्षण के माध्यम से रोजगार एवं आजीविका के लिए एक नवीन राज्य योजना प्रारम्भ की गयी है
विवरण देखेंप्रदेश के मत्स्य पालकों/मछुआरा समुदाय (परम्परागत मत्स्य आखेटक केवट, मल्लाह, निषाद, बिन्द, धीमर, कश्यप, बाथम, रैकवार, मांझी, गोडिया, कहार, तुरैहा अथवा तुराहा समुदाय से सम्बन्धित ऐसा व्यक्ति अथवा कोई अन्य व्यक्ति जो एक वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि से मत्स्य पालन या मात्स्यिकी किया-कलापो से सक्रिय रूप से जुड़ा हो तथा उससे अपना जीविकोपार्जन करता हो) के कल्याणार्थ मत्स्य पालक कल्याण कोष योजना प्रारम्भ की गयी है
प्रदेश के मत्स्य पालकों (जो एक वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि से मत्स्य पालन या मात्स्यिकी किया-कलापो से सक्रिय रूप से जुड़ा हो तथा उससे अपना जीविकोपार्जन करता हो) के कल्याणार्थ मत्स्य पालक कल्याण कोष योजना प्रारम्भ की गयी है
विवरण देखेंमत्स्य विकास कार्यो को सुनियोजित रूप से सम्पादित किये जाने की दृष्टि से वर्ष 1947 में उ.प्र. मत्स्य विभाग की स्थापना पशुपालन विभाग के अन्तर्गत की गयी थी। वर्ष 1966 में मत्स्य विभाग पशुपालन विभाग से पृथक हुआ और स्वतंत्र रूप से कार्य करने लगा। प्रथम पंचवर्षीय योजना अवधि में जमींदारी उन्मूलन के पश्चात् कुछ तालाब मत्स्य विभाग को हस्तान्तरित हुए, जिनमें विकास कार्य प्रारम्भ किया गया । मत्स्य विकास कार्यो को छठी पंचवर्षीय योजना में मत्स्य पालक विकास अभिकरणों की स्थापना के बाद विशेष गतिमयता प्राप्त हुयी। प्रदेश में मत्स्य बीज की बढ़ती माँग की पूर्ति के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम के द्वारा 09 बडे़ आकार की हैचरियों की स्थापना करायी गयी। 7वीं पंचवर्षीय योजना में प्रदेश के सभी जनपदों में मत्स्य पालक विकास अभिकरणों की स्थापना करायी गयी और अभिकरणों के माध्यम से मत्स्य पालकों को तालाबो के सुधार/नये तालाबो के निर्माण तथा प्रथम वर्ष के उत्पादन निवेशों हेतु बैंकों से ऋण व शासकीय अनुदान, अल्पकालीन प्रशिक्षण व निःशुल्क तकनीकी जानकारी की सुविधा उपलब्ध करायी जाती थी। वित्तीय वर्ष 2016-17 में माह-जून, 2016 तक यह योजना संचालित थी। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016-17 में उपरोक्त समस्त केन्द्र पुरोनिधानित/केन्द्र पोषित योजनाओं को एक अम्बै्रला में लाते हुये नयी सेन्ट्रल सेक्टर स्कीम ‘‘ ब्लू रिवोल्यूशनः इन्टीग्रेटेड डेवलपमेन्ट एण्ड मैनेजमेन्ट आफ फिशरीज आरंभ की गयी, जिसके अन्तर्गत मत्स्य विकास के विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है
मत्स्य विकास कार्यो को सुनियोजित रूप से सम्पादित किये जाने की दृष्टि से वर्ष 1947 में उ.प्र. मत्स्य विभाग की स्थापना पशुपालन विभाग के अन्तर्गत की गयी थी। वर्ष 1966 में मत्स्य विभाग पशुपालन विभाग से पृथक हुआ और स्वतंत्र रूप से कार्य करने लगा। प्रथम पंचवर्षीय योजना अवधि में जमींदारी उन्मूलन के पश्चात् कुछ तालाब मत्स्य विभाग को हस्तान्तरित हुए, जिनमें विकास कार्य प्रारम्भ किया गया ।
मत्स्य विकास कार्यो को छठी पंचवर्षीय योजना में मत्स्य पालक विकास अभिकरणों की स्थापना के बाद विशेष गतिमयता प्राप्त हुयी। प्रदेश में मत्स्य बीज की बढ़ती माँग की पूर्ति के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम के द्वारा 09 बडे़ आकार की हैचरियों की स्थापना करायी गयी। 7वीं पंचवर्षीय योजना में प्रदेश के सभी जनपदों में मत्स्य पालक विकास अभिकरणों की स्थापना करायी गयी और अभिकरणों के माध्यम से मत्स्य पालकों को तालाबो के सुधार/नये तालाबो के निर्माण तथा प्रथम वर्ष के उत्पादन निवेशों हेतु बैंकों से ऋण व शासकीय अनुदान, अल्पकालीन प्रशिक्षण व निःशुल्क तकनीकी जानकारी की सुविधा उपलब्ध करायी जाती थी। वित्तीय वर्ष 2016-17 में माह-जून, 2016 तक यह योजना संचालित थी। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016-17 में उपरोक्त समस्त केन्द्र पुरोनिधानित/केन्द्र पोषित योजनाओं को एक अम्बै्रला में लाते हुये नयी सेन्ट्रल सेक्टर स्कीम ‘‘ ब्लू रिवोल्यूशनः इन्टीग्रेटेड डेवलपमेन्ट एण्ड मैनेजमेन्ट आफ फिशरीज आरंभ की गयी, जिसके अन्तर्गत मत्स्य विकास के विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है
मत्स्य पालक कल्याण कोष के अन्तर्गत मछुआ आवास हेतु आवेदन का प्रारूप
मत्स्य विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत ऑनलाइन आवेदन आमंत्रण की सूचना
उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष से संबंधित योजनाओं की गाइडलाइन्स
चिकित्सा सहायता के सम्बन्ध में शपथ पत्र
सामूहिक दुर्घटना बीमा पत्रक डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें
मत्स्य बिक्री अथवा शिकार माही या मत्स्य आखेट करने वाले किसान भाई अपना प्रमाण पत्र डाउनलोड करें
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) 10 सितंबर 2020 को शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य पांच साल (2020-2025) की अवधि में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाना है। इस योजना के माध्यम से मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों की आय में वृद्धि करनें के साथ ही उनके जीवन स्तर में सुधार करना है
मत्स्य व्यवसाय से जुड़े मछुआ/मत्स्य पालक एवं उनके परिवारों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान हेतु विभाग में कोई विशेष कल्याणकारी योजना संचालित न होने तथा मत्स्य पालन को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए लोक कल्याण संकल्प पत्र 2017 के क्रम में प्रदेश के मत्स्य पालकों/मछुआरा समुदाय (परम्परागत मत्स्य आखेटक केवट, मल्लाह, निषाद, बिन्द, धीमर, कश्यप, बाथम, रैकवार, मांझी, गोडिया, कहार, तुरैहा अथवा तुराहा समुदाय से सम्बन्धित ऐसा व्यक्ति अथवा कोई अन्य व्यक्ति जो एक वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि से मत्स्य पालन या मात्स्यिकी किया-कलापो से सक्रिय रूप से जुड़ा हो तथा उससे अपना जीविकोपार्जन करता हो) के कल्याणार्थ मत्स्य पालक कल्याण कोष योजनान्तर्गत निम्नानुसार उपयोजनाएं/ कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। इस योजना के माध्यम से मत्स्य पालक/मछुआरा समुदाय के ऐसे व्यक्तियों को आच्छादित किया जायेगा जो समान प्रकार की किसी अन्य योजना से पूर्व में लाभान्वित न हो तथा लाभार्थियों का चयन सम्बन्धित योजना में निर्दिष्ट प्रावधानों के अनुसार किया जायेगा। मत्स्य पालक कल्याण कोष का उद्देश्य मत्स्य पालकों के लिए और मत्स्य पालकों के कल्याण तथा विकास सम्बन्धी कार्यक्रमों के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है। इस कोष से सहायता निम्नलिखित मदों हेतु प्रदान की जाएगी:-
प्रदेश में मत्स्य पालको एवं मछुआरा समुदाय के व्यक्तियों को मत्स्याखेट एवं नदियाँ/जलाशयों में मत्स्य प्रबंधन व सरंक्षण के माध्यम से रोजगार एवं आजीविका के लिए जलाशयों, तालाबों, नदियों एवं अन्य जल संसाधनों में बिना इंजन की नाव (नॉन मोटोराइज्ड), जाल, लाइफ जैकेट एवं आइस्बाक्स आदि पर 40 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराये जाने हेतु निषादराज बोट सब्सिडी योजना के रूप में एक नवीन राज्य योजना प्रारम्भ की गयी है
वर्तमान में प्रचलित "प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना" में ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित तालाबों पर कोई परियोजना अनुमन्य नहीं है। इसकी रिक्तता को भरने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 से एक नवीन योजना मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना(MMMSY) प्रारम्भ की गयी है। इस योजनान्तर्गत दो परियोजनाएं संचालित की जा रही है।
मत्स्य पालन तथा मात्स्यिकी की आनुषंगिक गतिविधियों में सम्मिलित व्यक्तियों को दुर्घटना बीमा के आच्छादन के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना। योजना दुर्घटनाजनित परिस्थितियों में आच्छादित व्यक्ति अथवा उसकी मृत्यु की दशा में उसके परिवारीजनों को हुयी क्षति की प्रतिपूर्ति का प्रयास करती है